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राजस्थान सरकार 'न्यूनतम सरकार, अधिकतम शासन' के अपने मूलमंत्र को चरितार्थ करने की दिशा में एक और महत्वपूर्ण कदम उठाने जा रही है। हाल ही में 17 नए ज़िलों और 3 नए संभागों के गठन के बाद, अब राज्य सरकार का ध्यान उपखंडों और तहसीलों के पुनर्गठन पर केंद्रित है। इसका उद्देश्य प्रशासनिक इकाइयों को अधिक प्रभावी और जनोन्मुखी बनाना है।
क्यों हो रहा है यह बदलाव?
प्रदेश में नए ज़िलों और संभागों के बनने के बाद कई स्थानों पर नए उपखंड और तहसील मुख्यालयों पर कर्मचारियों और आवश्यक भवनों की कमी जैसी चुनौतियाँ सामने आई हैं। इससे प्रशासनिक कार्यप्रणाली प्रभावित हो रही थी। इन्हीं समस्याओं को दूर करने और शासन को जनता के और करीब लाने के लिए सरकार ने यह बड़ा निर्णय लिया है।
क्या होगा नया ढाँचा?
यह अनुमान है कि इस पुनर्गठन के बाद 100 से अधिक उपखंडों को तर्कसंगत बनाया जाएगा या उनका विलय किया जाएगा। वर्तमान में राज्य में 323 उपखंड, 426 तहसीलें और 232 उप-तहसीलें हैं। इस प्रक्रिया के बाद, राजस्थान में उपखंडों की संख्या 323 पर स्थिर रहेगी, जबकि उप-तहसीलों की संख्या 213 हो जाएगी। यह कदम प्रशासनिक इकाइयों को अधिक सुव्यवस्थित और कार्यक्षम बनाएगा।
उच्च स्तरीय समिति का गठन
इस महत्वपूर्ण प्रशासनिक पुनर्गठन के लिए एक उच्च स्तरीय समिति का गठन किया गया है। इस समिति में IAS, IPS और न्यायिक सेवाओं के अनुभवी अधिकारी शामिल हैं। यह समिति प्रशासनिक इकाइयों के सीमांकन और उनके पुनर्गठन के संबंध में गहन अध्ययन कर अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करेगी। इसमें राजस्व, ग्रामीण विकास एवं पंचायतीराज और गृह विभाग के अधिकारी भी शामिल होंगे, जो सभी पहलुओं पर विचार कर एक संतुलित और प्रभावी समाधान प्रस्तुत करेंगे।
पटवारियों के लिए खुशखबरी: हर पंचायत पर एक पटवार सर्कल!
इस पुनर्गठन का एक बड़ा सकारात्मक प्रभाव ग्रामीण प्रशासन पर भी पड़ेगा। सरकार की योजना है कि हर पंचायत पर एक पटवार सर्कल सुनिश्चित किया जाएगा। इससे पटवारियों की कमी की समस्या का समाधान होगा, जो लंबे समय से ग्रामीण क्षेत्रों में एक बड़ी चुनौती रही है। वर्तमान में 10,971 पटवार मंडल और 48,468 राजस्व गाँव हैं। 'एक पंचायत - एक पटवार सर्कल' का सिद्धांत ग्रामीण स्तर पर प्रशासनिक सेवाओं को बेहतर और सुलभ बनाएगा।
यह कदम न केवल राजस्थान सरकार की 'न्यूनतम सरकार, अधिकतम शासन' की नीति को मज़बूत करेगा, बल्कि प्रदेश के नागरिकों को भी अधिक कुशल और त्वरित प्रशासनिक सेवाएँ उपलब्ध कराएगा। आने वाले समय में यह पुनर्गठन राजस्थान की प्रशासनिक व्यवस्था में एक मील का पत्थर साबित होगा।
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