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सोशल जस्टिस विभाग के द्वारा ST/SC को दी जाने वाली छात्रवृति में अनियमितता उजागर हुई है जहा गरीब बच्चो को विभाग के बहार नोटिस चस्पा कर बजट की अनुपलब्धता बताया जाता है जबकि जुगाड़ बाज संस्था एक ही बच्चे के दो बार छात्रवृति उठा लेता है | ज्यादातर सस्थाए बच्चो के जन आधार कार्ड में अकाउंट नंबर बदलवाकर नए खाते नंबर जुड़वा लेते है जिससे की पैसा उनके पास ही आये और कही न कही विभागीय मिली भगत की गंध भी महसूस आती है वरना ऐसा संभव नहीं की ये जानकारी किसी को भी नहीं हो | सरकार को ऐसे मामलों पर विशेष ध्यान देने की जरुरत क्योकी अगर गरीब का बच्चे को सविधा नहीं पायेगी तो वो एक दुष्चक्र में फसकर अपनी आगे की शिक्षा पूरी नहीं कर पायेगा |
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